आज बाबासाहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जन्मतिथि है । इस जन्मतिथि की पूर्व सन्ध्या पर उनकी विचारधारा की कथित धरोहर पार्टी बहुजन समाज पार्टी के जौनपुर से प्रत्याशी माफिया धनन्जय सिंह ने एक अन्य दलित नेता बहादुर सोनकार की हत्या कर पेड़ पर लटका दिया । बहादुर सोनकर एक अन्य दलित नेतृत्व वाली पार्टी इन्डियन जस्टिस पार्टी का उम्मीदवार था ।
धनन्जय सिंह की आपराधिक पृष्टभूमि किसी से छिपी नहीं है । वह दलित नेता रामबिलास पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी तथा शरद यादव – नितीश कुमार की जद(यू) से भी टिकट लेकर विधान सभा का चुनाव लड़ चुका है । बहरहाल , इस मामले में धनन्जय के साथ दो पुलिस अधिकारियों का नाम भी आ रहा है । गत दिनों लिखी मेरी एक पोस्ट पर आनन्द प्रधान की टिप्पणी का स्मरण दिला रहा हूँ –
लेकिन गुण्डों की ताकत इसलिए बढ़ी है और उन्हें एक वैधता मिली है क्योंकि राज्य लोगों को न्याय और सुशासन देने में विफल हो गया है। ..गुण्डों ने एक समानान्तर व्यवस्था खड़ी कर दी है ।….राज्य ने उनके आगे घुटने टेक दिये हैं ।”
चूँकि इन्डियन जस्टिस पार्टी पंजीकृत किन्तु गैर मान्यता प्राप्त दल है इसलिए उसके प्रत्याशी की हत्या पर चुनाव रद्द नहीं होगा । चुनाव कानून में यह संशोधन हाल का है । एक काल्पनिक स्थिति पर विचार करें – यदि मतदाता बहादुर सोनकर को ही सर्वाधिक मत प्रदान करते हैं तब ही चुनाव रद्द होंगे । चूंकि मृत प्रत्याशी का नाम मशीन से नहीं हटेगा इसलिए उसे मिले मतों से चुनाव परिणाम को प्रभावित नहीं माना जाएगा ?
मृतक स्वयं कैसा रहा होगा नहीं जानते हुए भी लगता है उसे ही मत देकर लोग अपनी नाराजगी दर्शा सकते हैं। जहां ऊम्मीदवार ही सुरक्षित नहीं हैं वहाँ आम जनता कितनी सुरक्षित होगी ?
घुघूती बासूती
यह अत्यंत ही दहशतनाक और घृणित कार्य रहा और प्रशासनिक मशीनरी पूरी तरह फेल दिखाई पड़ रही है -निर्वाचन आयोग के बहुत सख्त कदम की अपेक्षा है !
यहाँ कोई सुरक्षित नहीं है। सुरक्षा के लिए एक जुट होना होगा।
क्या बाबा साहब सिर्फ दलितों के नेता थे ?
एक दलित नेता के जन्मदिन पर एक दलित नेता की हत्या एक दलित की बेटी के राज में!!!!!!!!!! ………of the people, by the people,
for the people:)
वाकई घृणित..
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